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GST In India

GST is one indirect tax for the whole nation, which will make India one unified common market.

GST In India

Uniformity of tax rates and structures

GST In India

Gain to manufacturers and exporters

GST In India

Multiple indirect taxes at the Central and State levels are being replaced by GST.

GST In India

GST will result in better tax compliance due to a robust IT infrastructure.

बुधवार, 28 जून 2017

GST में Reverse Charge का क्या अर्थ हैं-

रिवर्स चार्ज का अर्थ- 

GST में सामान्यत: Supplier यानि वस्तु या सेवा को बेचने वाला व्यक्ति Customer से GST चार्ज करता हैं और सरकार को जमा करवाता हैं| लेकिन कुछ परिस्थितियों में GST की जिम्मेदारी Supplier पर न होकर Receiver यानि वस्तु या सेवा खरीदने वाले व्यक्ति पर होती हैं, इसे ही Reverse Charge Mechanism (RCM) कहते हैं| Reverse Charge में क्रेता GST का भुगतान विक्रेता को न करके सीधा सरकार को जमा को जमा करवाता हैं| कुछ परिस्थितियों में Partial Reverse Charge भी होता हैं यानि कि GST के कुछ भाग की जिम्मेदारी क्रेता पर और बाकी हिस्से की जिम्मेदारी विक्रेता पर होती हैं
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी Service को Import करता हैं तो यह परिस्थति रिवर्स चार्ज में आती हैं इसलिए इस परिस्थति में क्रेता ने जितनी Value की Service Import की हैं, उस पर वह GST Calculate करके सरकार को जमा कराएगा|

Reverse Charge में GST Registration

सामान्य रूप से GST में Registration करवाने की जरूरत तब पड़ती हैं जब उसका वार्षिक विक्रय छूट सीमा यानि कि 20 लाख रूपये ( उत्तरी पूर्वी राज्यों में 10 लाख रूपये) से अधिक हो| लेकिन अगर कोई व्यक्ति जो Reverse Charge के अंतर्गत Liable हैं तो उसे Registration करवाना पड़ेगा, भले ही उसकी Annual Sale जीएसटी की छूट सीमा से कम हो| उदाहरण के लिए अगर कोई फर्म, कंपनी या व्यापारी किसी Lawyer यानि कि वकील की सेवाएँ अपने व्यापार के लिए लेता हैं तो वह Reverse Charge में Liable हैं ऐसी परिस्थति में उस फर्म या कंपनी को GST में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा भले ही उसका turnover कितना भी हो
सरकार ने कुछ सेवाएँ  नोटिफाई की हैं और ऐसी परिस्थितियों में GST की जिम्मेदारी विक्रेता पर न होकर क्रेता पर होगी| ऐसी सेवाएँ निम्न प्रकार हैं –

सेवाएँ जिन पर रिवर्स चार्ज लागू होता हैं – Services Covered Under RCM

  1. सेवाओं का आयात -Import of Services
  2. ट्रांसपोर्ट एजेंसी की सेवाएँ – Goods Transport Agency Services (GTA)
  3. वकीलों द्वारा प्रदान की गई कानूनी सेवाएँ -Legal Services Provided By Advocates
  4. ओला उबेर जैसी कैब सेवाएँ – Cab Services Provided Through E-Commerce Operators (इसमें GST Charge करने और सरकार को जमा कराने की जिम्मेदारी कैब कंपनी की होगी )
  5. डायरेक्टर द्वारा कंपनी को दी गयी सेवाएँ Services Provided by Director to Company
  6. Services Provided By Arbitral Tribunal
  7. Sponsorship Services
  8. Services Provided By Government or Local Authority
  9. Services Provided by Insurance Agent to Insurance Company
  10. Services Provided by Recovery Agent to Banking/Finance Company or NBFC
  11. Transport of Goods in a Vessel From Place Outside India to Custom Station India
  12. Transfer of Copyright relating to Original Literary, Dramatic, Musical or Artistic works

GST में कब और कितने Types के Returns File करने हैं-

GST  कानून के तहत अगर किसी व्यवसाय का Turnover यानि की वार्षिक बिक्री (Sale) 20 लाख रूपये (North East States में 10 लाख रूपये) से अधिक हैं तो उसे GST में Registration लेना पड़ेगा और अपने द्वारा की गयी सभी वस्तुओं और सेवाओं की सप्लाई पर GST लगाना होगा| जिसकी Rates हर वस्तु और सेवा पर अलग अलग हैं| कुछ वस्तुएं और सेवाएँ GST से Exempted हैं यानि की उन पर GST नहीं लगता

GST Return क्या होता हैं-

जो व्यक्ति GST में Registered हैं उसे हर महीने Online GST Return File करने होंगे|
कोई भी टैक्स रिटर्न का मतलब टैक्स से सम्बंधित एक प्रकार की जानकारी होती हैं जिसे टैक्स डिपार्टमेंट को बताना होता हैं| GST Return में आपको विभिन्न प्रकार की जानकारी देनी होगी जैसे आपकी आपकी कौनसी वस्तु या सेवा बेच रहे हैं, आपकी Monthly Sale कितनी हुई, उस monthly sale पर कितना GST बना, आपने कितना Input ख़रीदा और उस पर कितनी GST Input Credit मिली, आपने GST का Payment करने में Input Credit का कितना Set Off क्या और कितना पेमेंट Cash में किया आदि| GST के सारे Return ऑनलाइन आपको GST Portal पर File करने होंगे

कितने प्रकार (Types) के GST Return File करने होंगे और उनकी Due Dates क्या होंगी

एक सामान्य टैक्सपेयर को GST में हर महीने तीन Return File करने होंगे और वर्ष के अंत में एक रिटर्न File करना होगा| इस प्रकार एक सामान्य टैक्सपेयर को वर्ष में करीब 37 रिटर्न फाइल करने होंगे|
Composition Scheme छोटे Taxpayers के लिए हैं जिनका वार्षिक turnover 50 लाख रूपये तक हैं| इस स्कीम के Taxpayers के लिए सरल व्यवस्था होती हैं|  Composition Scheme के तहत रजिस्टर्ड taxpayer को हर तीन महीने में एक रिटर्न फाइल करना होगा और वर्ष के अंत में एक Combined Return भरना होगा| इस प्रकार कम्पोजीशन स्कीम वाले टैक्सपेयर को आसानी होगी और वर्ष में केवल 5 ही फाइल करने होंगे|
GST Returns के Types और उनकी Due dates इस प्रकार हैं:-

 सामान्य टैक्सपेयर के लिए Return Filing Requirements – 37 Returns

GST ReturnInformationDue Date
GSTR-1आउटपुट सप्लाई और टैक्स की जानकारीअगले महीने की 10 तारीख
GSTR-2इनपुट सप्लाई और क्रेडिट की जानकारीअगले महीने की 15 तारीख
GSTR-3मासिक विवरणअगले महीने की 20 तारीख
GSTR-9वार्षिक विवरणअगले वित वर्ष के 31 दिसंबर

Composition Scheme Taxpayer के लिए Return Filing Requirement – 5 Returns             

GST ReturnInformationDue Date
GSTR-4त्रैमासिक विवरण – Quarterly  तीन महीने समाप्ति के अगले महीने की 18 तारीख
GSTR-8वार्षिक विवरणअगले वित वर्ष के 31 दिसंबर

 Return Matching Under GST

GST के तहत सभी प्रक्रिया online होगी और इसमें Supplier की Output इनफार्मेशन को Receiver की Input इनफार्मेशन के साथ मिलान किया जाएगा और Receiver को इनपुट क्रेडिट तभी मिलेगी जब उसकी Input Details उसके Supplier की Output details के साथ match हो जाए

GST आने के बाद Sales Tax का क्या होगा-

सेल्स टैक्स या बिक्री कर क्या है:
सेल्स टैक्स किसी भी वस्तु पर चुकाया जाने वाला कर होता है. यह कर सीधे सरकारी विभाग को जाता है जो इससे सम्बंधित चीज़े देखता है. .
कौन लगाता है:
बिक्री कर आमतौर पर पुरे देश में किसी भी वस्तु या सेवा पर लगता है और इसके लिए केंद्रीय सरकार तथा राज्य सरकार दोनों ही आर्डर जारी करते हैं. यह मुख्यतः वस्तु के एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने या आयत करने पर ही लगता है. अर्थात जब कोई भी वस्तु या सेवा किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में बेचीं जाती है तो सरकार उस पर कुछ कर लगाती है. कुछ राज्यों में तो उपरोक्त बेचे गए सामान पर तो अतिरिक्त कर भी लगाया जाता है जिससे उनकी कीमत में बृद्धि हो जाती है और वो बाकि राज्यों के मुकाबले ज्यादा महंगी बिकती है.
GST आने के बाद क्या होगा: 
Goods and Service Tax यानि कि जी.एस.टी. आने से इसके फायदे तो मिलेंगी ही. यह एक “अप्रत्यक्ष कर” है जो राज्यों कि मनमानी को रोकेगा और पुरे देश में एक वस्तु पर एक ही कर कि सिफारिश करेगा.| GST के आने के बाद VAT, Excise और Service Tax जैसे कर की जगह केवल GST लगेगा|
जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो हमसे उसपर टैक्स वसूला जाता है जो हमे उसकी रसीद से पता चलता है. लेकिन हम फिर भी उसकी असली कीमत जानने में असमर्थ होते हैं. ऐसा इसलिए कि उस वस्तु पर “एक्साइज ड्यूटी” सरकार पहले ही लगा चुकी होती है जो कि उसके दाम में कही भी बताया नहीं जाता. पर अब हम इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जो भी वस्तु हम खरीदेंगे, उस पर सामान्यत: 18% कर चुकाना होगा

GST में Tax किस दर (Rate) से लगेगा-

GST के अंतर्गत पांच तरह की Tax Rates रखी गयी हैं| आवश्यक वस्तुओं पर कम दर हैं तो विलासिता की वस्तुओं और सेवाओं पर ज्यादा| GST के लागू होने बाद वर्तमान के Indirect Taxes जैसे Excise Duty, Service Tax और VAT आदि समाप्त हो जायेंगे और उसकी जगह केवल GST ही लगेगा| GST के लागू होने के बाद कुछ वस्तुएं सस्ती होंगी तो कुछ महँगी
GST Council के द्वारा बनाये गए नियमों अनुसार GST tax के कुल पाँच स्लैब होंगे। 0%, 5%, 12%, 18%, और 28% । इन सब में luxury items पर अधक्तम tax लगाया जाएगा यानी की 28% और रोजाना उपयोग में आने वाली जीवन ज़रूरी चीजों पर कम से कम टैक्स यानी की 5% tax लागू होगा। बाकी tax slab चीजों की उत्पादन, आयात, निकास और जरूरतों के अनुसार apply किये जाएंगे। यह सिस्टम वर्ष 2017 इसी वर्ष जुलाई से लागू होना है। इस आसान tax सिस्टम से आम लोगों को काफी फायदा होगा। tax regulation system भी आसान होगा। बड़ी companies को कारोबार करने में आसानी होगी।
सभी मुख्य वस्तुओं पर GST की दरें इस प्रकार हैं –

GST से क्या सस्ता होगा और क्या महंगा हो सकता हैं-

GST की अधिकतम दर 28% रखी गयी हैं और करीब 19% वस्तुएं ऐसी हैं जिन पर 28% की दर से GST लगेगा| जीएसटी के बाद ज्यादात्तर वस्तुएं सस्ती होंगी और सेवाएँ महँगी होंगी-

वस्तुएं (Goods) जिन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा-

रोजमर्रा के सामन जैसे दूध, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, बटर मिल्क, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, फ्रेश मीट, फिश चिकन, अंडा,  स्टांप. न्यायिक दस्तावेज, प्रिंटेड बुक्स, अखबार, चूड़िया और हैंडलूम जैसे रोजमर्रा के सामान जीएसटी से बाहर रखे गए हैं

सेवाएँ (Services) जिन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा-

Hotels and lodges with tariff below Rs 1,000



वस्तुएं (Goods) जिन पर 5% की दर से टैक्स लगेगा-

ब्रांडेड फ़ूड जैसे ब्रांडेड पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, फिश फिलेट, क्रीम, स्किम्ड मिल्ड पाउडर, मसाले, पिज्जा ब्रेड, रस, साबूदाना, केरोसिन, कोयला, दवाएं, स्टेंट और लाइफबोट्स जैसी वस्तुएं

सेवाएँ (Services) जिन पर 5% की दर से टैक्स लगेगा-

Transport services (Railways, air transport), small restraurants will be under the 5% category because their main input is petroleum, which is outside GST ambit.



वस्तुएं (Goods) जिन पर 12% की दर से टैक्स लगेगा-

सॉस, फ्रूट जूस, भुजिया, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाएं, फ्रोजन मीट प्रॉडक्ट्स, बटर, पैकेज्ड ड्राई फ्रूट्स, ऐनिमल फैट, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, कलर बुक्स, पिक्चर बुक्स, छाता, सिलाई मशीन और सेल फोन जैसी जरूरी आइटम्स को 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा गया है।

सेवाएँ (Services) जिन पर 12% की दर से टैक्स लगेगा-

Non-AC hotels, business class air ticket, fertilisers, Work Contracts will fall under 12 per cent GST tax slab



वस्तुएं (Goods) जिन पर 18% की दर से टैक्स लगेगा-

जैम, सॉस, सूप, आइसक्रीम, इंस्टैंट फूड मिक्सेज, मिनरल वॉटर, फ्लेवर्ड रिफाइंड शुगर, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, पेस्ट्रीज और केक, प्रिजर्व्ड वेजिटेबल्स, टिशू, लिफाफे, नोट बुक्स, स्टील प्रॉडक्ट्स, प्रिंटेड सर्किट्स, कैमरा, स्पीकर और मॉनिटर्स पर 18 फीसदी टैक्स लगाए जाने का निर्णय किया गया है

सेवाएँ (Services) जिन पर 18% की दर से टैक्स लगेगा-

AC hotels that serve liquor, telecom services, IT services, branded garments and financial services will attract 18 per cent tax under GST.



वस्तुएं (Goods) जिन पर 28% की दर से टैक्स लगेगा-

पेंट, डीओडरन्ट, शेविंग क्रीम, हेयर शैम्पू, डाइ, सनस्क्रीन, वॉलपेपर, सेरेमिक टाइल्स, च्युइंगम, गुड़, कोकोआ रहित चॉकलेट, पान मसाला, वातित जल, वॉटर हीटर, डिशवॉशर, सिलाई मशीन, वॉशिंग मशीन, एटीएम, वेंडिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, शेवर्स, हेयर क्लिपर्स, ऑटोमोबाइल्स, मोटरसाइकल, निजी इस्तेमाल के लिए एयरक्राफ्ट और नौकाविहार को लग्जरी मानते हुए सबसे अधिक टैक्स लेने का फैसला किया गया है

सेवाएँ (Services) जिन पर 28% की दर से टैक्स लगेगा-

5-star hotels, race club betting, cinema will attract tax 28 per cent tax slab under GST


CGST, SGST और IGST क्या हैं-

CGST,IGST और SCGT  गुड्स और सर्विस टेक्स के ही पार्ट है जो भारत मे 1 जुलाई से लागु होंगे.
राज्य के भीतर माल बेचने पर CGST(central goods and service tax) तथा SGST(state goods and service tax) लगेगा. उदाहरण. यदि कोई राजस्थान का वयक्ति राजस्थन के वयक्ति को माल बेचता है और उस वस्तु और उस वस्तु पर GST की rate18%  है तो 9%CGST तथा 9%SGST लगेगा और यदि माल राज्य के बाहर के व्यक्ति को बेचा जाता है तो 18 % की दर से IGSTलगेगा |
Excise Duty, Service Tax,custom duty और अन्य केन्द्रिय अप्र्त्यक्श कर् कि जगह CGST ले लेगा।
Value Added Tax,Entertainment Tax,Entry Tax की जगह SGST ले लेगा।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें-

  1. आप को भरना होगा Part-A का Form GST REG-01. और देना होगा  PAN, mobile number, and E-mail ID, उसके बाद सबमिट करना होगा अपना फॉर्म।
  2. आप का PAN verified होगा  GST Portal पर और  Mobile number, and E-mail ID का सत्यपान one-time password (OTP) के द्वारा होगा।
  3. आप को एप्लिकेशन रेफ्रन्स नंबर आप के mobile और मैल द्वारा भेजा जाएगा।
  4. अब आप को एप्लिकेशन GST REG-01 के Part- B में application reference number डालना है जो आप को मैल पर या मोबाइल inbox में प्राप्त हुआ है। सभी ज़रूरी मांगे हुए डॉकयुमेंट के साथ अब फॉर्म को सबमिट कर दें।
Documents list –
  • Photographs: Photographs of proprietor, partners, managing trustee, committee etc. and authorized signatory
  • Constitution of taxpayer: Partnership deed, registration certificate or other proof of constitution
  • Proof of principal / additional place of business :
    • For own premises– मालिकाना हक़ दिखने वाला कोई दस्तावेज़ ownership of the premises  जैसे की latest property tax receipt या फिर Municipal Khata copy या electricity bill कॉपी।
    • For rented or leased premises – rent / lease agreement घर मालिक के documents जैसे की property tax receipt या फिर Municipal खाता कॉपी। या फिर electricity bill.
  • Bank account related proof: बैंक खाते के पासबूक के पहले पाने की Scanned copy  और bank statement।
  • Authorization forms: इस के लिए website से इन्फॉर्मेशन प्राप्त होगी।
  1. अगर आप नें Form GST REG-01 or Form GST REG-04 में बताई गयी सभी जानकारी सही सही प्रदान कर दी है तो, आप को registration certificate  फॉर्म सबमिट हो जाने के तीन दिन बाद प्राप्त हो जाएगी।
  2. प्रदान की गयी जानकारी गलत हुई या उसमें कोई त्रुटि हुई तो आप का registration application reject हो जाएगा।

GST में Composition Scheme क्या हैं और इसके लिए कौन Eligible हैं-

ऐसे व्यव्साय जो माल का लेन देन् करते है अथवा किसी रेस्टोरेंट के मालिक है GST Composition Scheme के लिये apply कर सकते है किंतु उनका annual Turnover 50 lac से ज्यदा नही होना चहिए तथा inter state sale  अर्थात राज्य से बाहर माल का विक्रय नही होना चहिये।
Composition Scheme वाले व्यापारी को GST के Detailed Record रखने कि आवश्यकता नही रहती है तथा उसे त्रैमासीक विवरण(Quarterly Return) ही भरना होगा मासिक विवरण नही।
Composition Scheme मे कुल आवर्त् का (Total Turnover) माल के निर्माता के लिए दर 1%,रेस्टोरेंट मालिक के लिये 2.5%, तथा अन्य व्यव्साय के लिये 0.5% कर जमा करवाना होगा ।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन किसे कराना पड़ेगा-

GST एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं  की आपूर्ति (Supply of Goods and Services) पर लगाया जाता हैं| GST के अंतर्गत छोटे कारोबारियों को राहत दी गयी हैं इसलिए ऐसे कारोबारी जिनकी वार्षिक बिक्री 20 लाख रूपये से कम हैं तो उनके द्वारा सप्लाई की गई वस्तुओं और सेवाओं पर GST नहीं लगाया जाएगा| उत्तरी पूर्वी राज्यों  Arunachal Pradesh, Assam,  Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland, Sikkim, Tripura, Himachal Pradesh and Uttarakhand  आदि में यह छूट सीमा 10 लाख रूपये हैं|
ऐसे छोटे कारोबारियों को GST Registration लेने की भी अनिवार्यता नहीं होगी  अगर वे वस्तुओं या सेवाओं की अंतर्राज्यीय आपूर्ति (Inter-State Supply) यानी कि एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं करते| फिर भी अगर वे चाहें तो स्वैच्छिक रूप से GST Registration के लिए Apply कर सकते हैं।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता-

सामान्य परिस्थितियां
  1. अगर वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रूपये (उत्तरी पूर्वी राज्यों में 10 लाख रूपये) से ज्यादा हैं|
  2. अगर वस्तुओं और सेवाओं की दूसरे राज्य में आपूर्ति की जाती हैं (persons making any inter-State taxable supply)
  3. वह व्यक्ति जो E-Commerce Operator के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री/आपूर्ति करता हैं|
  4. वह व्यक्ति जो रिवर्स चार्ज के तहत GST भुगतान करने के लिए उतरदायी हैं|
  5. एक इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर
अन्य विशेष परिस्थितियां
  1. वह व्यक्ति जिसे धारा 37 में GST Deduct करना हैं
  2. Casual taxable persons
  3. non-resident taxable persons
  4. every electronic commerce operator
  5. an aggregator who supplies services under his brand name or his trade name

VAT, Service Tax, Excise आदि के वर्तमान करदाताओं के लिए GST Registration की आवश्यकता-

VAT(sales tax), Service Tax, Excise आदि के वर्तमान करदाताओं को GST में Registration (Migration) करना जरूरी हैं भले ही उनका टर्नओवर कम छूट सीमा (20 या 10 लाख रूपये) के अन्दर हो| एक बार GST लागू होने के बाद अगर उनका टर्नओवर कम हैं और उन्हें GST रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं हैं तो वे अपना GST रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर सकते हैं|

छोटे कारोबारियों के लिए Composition Scheme-

सरकार ने छोटे कारोबारियों जिनका टर्नओवर 50 लाख रूपये तक हैं उनके लिए कम्पोजीशन स्कीम की सुविधा दी हैं| कम्पोजीशन स्कीम में कारोबारियों को GST के बहुत ही कम प्रावधानों का पालन करना पड़ेगा और वे सीधा त्रैमासिक टर्नओवर पर कम रेट से GST का भुगतान कर सकेंगे| 
कम्पोजीशन स्कीम के बारे में अधिक जानने के लिए इस प्रश्न को देखिये –

जीएसटी प्रैक्टिशनर कौन बन सकता हैं-

GST प्रैक्टिशनर का क्या अर्थ हैं-

GST क़ानून के तहत किसी भी करदाता को विभिन्न प्रकार के कार्य करने होते हैं जैसे GST का रजिस्ट्रेशन करना, GST के रिटर्न फाइल करना आदि।GST कानून के अनुसार कोई भी करदाता चाहे तो इस प्रकार के काम GST प्रैक्टिशनर के द्वारा भी करवा सकता हैं| GST प्रैक्टिशनर सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वह व्यक्ति होता हैं जिसको करदाता अपने GST सम्बंधित कार्य करने की अनुमति देता हैं

GST Practitioner कौन बन सकता हैं-

GST क़ानून के अनुसार जीएसटी प्रैक्टिशनर बनने के लिए निम्न योग्यता (Eligibility) आवश्यक हैं :-
    1. Basic Eligibility
  • भारत का नागरिक होना – Indian Citizen
  • मानसिक संतुलन सही होना – Sound Mind
  • दिवालिया न होना – Solvent
  • न्यायालय द्वारा किसी भी ऐसे अपराध में दोषी न पाया जाना जिसमें कम से कम दो वर्ष की सजा हो
    1. Education and Work Experience
  • कॉमर्स, लॉ, बैंकिंग, ऑडिटिंग, बिज़नेस मैनेजमेंट आदि में ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट होना – graduate or postgraduate degree or its equivalent examination, having a degree in Commerce, Law, Banking including Higher Auditing, or Business Administration or Business Managementया
  • ऐसा व्यक्ति जिसने Chartered Accountant(CA), Company Secretaries (CS) या Cost Accountancy Course की फाइनल परीक्षा पास कर ली हैं और उसके पास किसी भी यूनिवर्सिटी की डिग्री हैं| या
  • राज्य सरकार के कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट (Commercial Tax Department) या केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर (CBEC) का रिटायर्ड अधिकारी (Retired Officer)

GST Practitioner बनने के लिए क्या करना पड़ता हैं-

GST Practitioner बनने के लिए GST Portal पर Online Application दाखिल करनी पड़ेगी हैं जो की जीएसटी लागू होने के बाद ही की जा सकेगी

जीएसटी से देश को क्या लाभ होगा-

जीएसटी से देश को क्या लाभ होगा-

जी.एस.टी. की पेशकश भारत के अप्रत्यक्ष कर सुधारों के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम हैं। बहुत सारे केंद्रीय और राज्यों के करों को एकल कर में मिलाकर और पूर्व-चरणों के करों को समाप्त करने की अनुमति देकर, यह व्यापक रूप से गिरावट के बुरे प्रभावों को काफी हद तक कम करने में मदद करेगा और समान राष्ट्रीय बाजार के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
उपभोक्ताओं के लिए सबसे बड़ा फायदा समग्र माल पर कर बोझ में कमी है, जिसका वर्तमान समय में 25 से 30 प्रतिशत का अनुमान है।
जी.एस.टी. की पेशकश हमारे उत्पादों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रतिस्पर्धी बनाएगा। अध्ययनों से पता चलता है कि इससे आर्थिक विकास में तुरन्त तेजी आ जाती है। वहाँ केंद्र और राज्यों के लिए भी कर आधार को व्यापक करने के कारण राजस्व लाभ हो सकता है, व्यापार में वृद्धि और कर अनुपालन भी बेहतर होगा। अंतिम लेकिन कम नहीं है, इस कर की पारदर्शी प्रकृति के कारण, इसका प्रशासन भी आसान होगा।

जी.एस.टी. व्यवस्था के अंतर्गत छोटे कर दाताओं के लिये लाभ-


वे कर दाता जिनका एक वित्तीय वर्ष में कुल कारोबार 20 लाख रूपये (पूर्वोत्तर राज्यों में 10 लाख रूपये) तक है उन्हें कर से मुक्त किया जाएगा। (सकल कुल बिक्री में कुल कर योग्य और गैर-कर योग्य आपूर्ति, छूट दी गई आपूर्ति और वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात का कुल मूल्य शामिल होगा और कर अर्थात जी.एस.टी. शामिल नहीं होंगे।) सकल कुल बिक्री की गणना अखिल भारतीय आधार पर की जाएगी। पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम के लिए, छूट सीमा (रुपए 10 लाख) होगी।
सीमा में छूट के पात्र सभी करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आई.टी.सी.) लाभ के साथ कर के भुगतान करने का विकल्प उपलब्ध होगा। अंतर-राज्य आपूर्ति करने वाले कर दाताओं या रिवर्स चार्ज के आधार पर कर का भुगतान कर रहे कर दाताओं को सीमा में छूट की पात्रता प्राप्त नहीं होगीवे कर दाता जिनका एक वित्तीय वर्ष में कुल कारोबार 20 लाख रूपये (पूर्वोत्तर राज्यों में 10 लाख रूपये) तक है उन्हें कर से मुक्त किया जाएगा। (सकल कुल बिक्री में कुल कर योग्य और गैर-कर योग्य आपूर्ति, छूट दी गई आपूर्ति और वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात का कुल मूल्य शामिल होगा और कर अर्थात जी.एस.टी. शामिल नहीं होंगे।) सकल कुल बिक्री की गणना अखिल भारतीय आधार पर की जाएगी। पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम के लिए, छूट सीमा (रुपए 10 लाख) होगी।

सीमा में छूट के पात्र सभी करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आई.टी.सी.) लाभ के साथ कर के भुगतान करने का विकल्प उपलब्ध होगा। अंतर-राज्य आपूर्ति करने वाले कर दाताओं या रिवर्स चार्ज के आधार पर कर का भुगतान कर रहे कर दाताओं को सीमा में छूट की पात्रता प्राप्त नहीं होगी।

जीएसटी क्या है और इससे भारत में टैक्स के क्षेत्र में कैसे बदलाव आएगा-

जीएसटी क्या है-

जीएसटी (GST), भारत के कर ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्यक्ष कर कानून है (Indirect Tax) है। जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा।

क्यों जरूरी है जीएसटी-

 भारत का वर्तमान कर ढांचा (Tax Structure) बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।  इस कारण देश में अलग अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होताहै।

टैक्स पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होगी-

अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxation System) व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण (Collection of Tax) व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट (Input Credit) मिलती है जिसका उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन (बिक्री – खरीद) या (Value Addition) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है।
लेकिन वर्तमान व्यवस्था में भारत में केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क(Excise Duty) व सेवा कर (Service Tax) और राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर(VAT or Sales Tax) लगाया जाता है।  इस कारण व्यवसायी को उत्पाद शुल्क और सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर ) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता।  इस कारण वर्तमान व्यवस्था में टैक्स पर टैक्स लग जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है ।
GST लागू होने से पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट (Credit) मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।

जीएसटी की मुख्य बातें-


  • GST केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ही लगेंगे।
  • ·        जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में स्थिरता आएगी
  • ·         संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए जीएसटी दो स्तर पर लगेगा – सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एंव सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एंव सेवा कर)। सीजीएसटी का हिस्सा केंद्र को और एसजीएसटी का हिस्सा राज्य सरकार को प्राप्त होगा।एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थति में आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एंव सेवाकर) लगेगा। आईजीएसटी का एक हिस्सा केंद्रसरकार और दूसरा हिस्सा वस्तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्य को प्राप्त होगा।
  • ·         व्यवसायी ख़रीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।सीजीएसटी की इनपुट क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी व सीजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान, एसजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग एसजीएसटी व आईजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान और आईजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान में किया जा सकेगा ।
  • ·         GST के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्य एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है।
  • ·         प्रस्तावित जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।

जीएसटी का आम लोगों पर प्रभाव-

  • अप्रत्यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग अलग टैक्स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी
  • ·         दूसरा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्स लगेगा जिससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी।
  • ·         Goods and Service Tax Law (GST)  लागू होने से केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी ), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी ।

जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव-

वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।
वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की  पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी
ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।
वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है।  मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी।  जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5  करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।
वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2% की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी ।